Hari charcha... santo ki vaani, yah blog aapko hari kirtan, satsang, or mahapurushon ki vaani ke vishay me batayega...yadi aap bhi hari charcha ke rasik he to aapko bhi yahan hari ki prem mayi charcha sunane ka avsar milega.. Shree Harivansh
विश्वास मैं अपार शक्ति होती है,,,,,,और जब विश्वास मेरे गिरधर का हो तो,,,,,
अत्यन्त मीठी कथा,,,अबस्य पढ़े।
भगवान् पर विश्वास
आज सुबह से ही बड़ी बैचैनी हो रही है, पता नहीं क्या बात है।कीर्ति} को तैयार करके स्कूल भेज दिया और नहाने चली गयी। आकार पूजा की तैयारी कर के पूजा करने जाने ही वाली थी की पतिदेव आये और बोले यार जल्दी नास्ता बना दो, आज बॉस ने जल्दी बुलाया है, लंच वही कर लूंगा। इतनी जल्दी, मैंने पूछा? हाँ यार कोई जरूरी मीटिंग है कहकर वो नहाने चले गए। पता नहीं क्यों बैचैनी ज्यादा हो रही थी, बड़े ही अनमने मन से नाश्ता बनाया, ये खाकर ऑफिस के लिए निकल गए। जल्दी से सब रखकर हाथ पाँव धोये और भागी पूजाघर की तरफ।
मेरे कान्हा! मेरे सबसे अच्छे दोस्त, उनसे अपने मन की हर बात कह देती हूं मैं , फिर डर नहीं लगता जैसे उन्होंने सब संभाल लिया हो।
प्रभु बड़ा डर लग रहा है,आप ही बताओ न क्या बात है, ऐसा कभी तो नहीं लगता। वैसे आप हो तो काहे की चिंता? सबका भला करना प्रभु, हम सब पर कृपा बनाये रखना।
"श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरधारी तेरी आरती गाऊं। " आरती गाने में जाने कैसे खो सी जाती हूं मैं। पूजा करने के बाद घर के काम निपटाने मे लग गयी, जैसे सब ठीक हो गया हो,बड़ा हल्का महसूस कर रही थी।
थोड़ी ही देर में दरवाजे की घंटी बजी, देखा तो पड़ोस वाली आंटी अंकल बड़े परेशान से खड़े थे। आइये आइये, अंदर आइये ना, मैंने कहा। पर उन्होंने कहा आज प्रदीप}( मेरे हस्बैंड) मिला था, कह रहा था जरूरी काम है, सुबह 8:30 की ट्रैन पकड़ने वाला था। जी अंकल, पर बात क्या है, मैंने घबराते हुए पूछा? आंटी अचानक ही रोने लगी बोली उस लोकल में तो बम ब्लास्ट हो गया है , कोई नहीं बचा। मेरे आसपास तो अँधेरा ही अँधेरा छा गया, मेरी क्या हालत थी, शव्दों में बयान नहीं कर पा रही हु।
सीधे दौड़ते हुए कान्हा के पास गयी, उन्हें देखा तो लगा ऐसा नहीं हो सकता। बस वही बैठे बैठे कान्हा कान्हा करने लगी तभी मेरा मोबाइल बजा जो आंटी ने उठाया और ख़ुशी से चिल्लायी, बेटा प्रदीप
का फ़ोन है, वो ठीक है। मैंने आँख खोलकर कान्हा जी को देखा, लगा वो मुस्कुरा रहे हैं, मैं भी मुस्कुरा दी। इनकी आवाज कानो में पड़ी तो लगा जैसे अभी अभी प्यार हो गया हो, आप बस जल्दी आ जाइए, इतना ही बोल पायी।
ये घर आये तो मैं ऐसे गले लगी जैसे किसी का लिहाज ही न हो,थोड़ी देर में अंकल ने पूछा ,हुआ क्या था बेटा, तुम ट्रैन में नहीं गए क्या? नहीं अंकल, बस यही मोड़ पर एक बहुत ही सुन्दर लड़का मिल गया था,साथ साथ चल रहा था, मैंने पूछा, कहा रहते हो, पहले कभी तो देखा नहीं तुमको? कहने लगा यही तो रहता हूँ। आप कहाँ रहते हो? मैंने बताया कि मैं शिवम् बिल्डिंग में रहता हूं, ऑफिस का भी बताया।उसने बताया कि वो मेरे ऑफिस के पास ही जा रहा है, लेकिन टैक्सी से, और कहने लगा आप भी क्यों नहीं चलते मेरे साथ, मैंने कहा नहीं, थैंक्यू, मैं ट्रैन से जाता हूं। अब वो ज़िद करने लगा बोला मुझे अच्छा लगेगा अगर आप चलेंगे तो वैसे भी टैक्सी जा तो रही है न उस तरफ। मैंने भी सोचा चलो ठीक है, आज टैक्सी से सही, कम से कम ट्रैन की धक्का मुक्की से तो बचूंगा। और हम लोगो ने एक टैक्सी कर ली।
मुझे देखकर ये बोले, यामिनी पता नहीं क्या जादू था उस लड़के में की बस मैं खिंचा चला जा रहा था, बहुत ही प्यारा है वो।आज जैसा मुझे पहले कभी नहीं लगा।
मैं भागी कान्हा की तरफ, मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने आज मेरे पति के साथ मेरी जान जो बचा ली थी,वो अभी भी मुस्कुरा रहे थे। Thank you Dost.... "भक्ति में ही शक्ति हैं" 🙏🏻🌺🌷 जय श्री कृष्णा 🌷🌺🙏🏻
आप सब को मैं ये बताना चाहता हूँ की ये कथायें मेरे द्धारा संपादित नहीं हैं,,,मैं केबल आपके आनद हेतु इन्हें यहाँ पोस्ट करता हूँ।
।।राधे राधे।।
मेरे हरि तो केबल प्रेम के प्यासे हैं........
अति मनमोहक प्रसंग जो प्रभु स्वभाव को दर्शाता है।
एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गई और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे। भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुँचे। कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था।
लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्रीकृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर है !
प्रभु ने कुम्हार से कहा कि 'कुम्हार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है । मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।
तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया ।
कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहाँ आ गई और कुम्हार से पूछने लगी - 'क्यूँ रे, कुम्हार !
तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है क्या ?
कुम्हार ने कह दिया -नहीं मैया, मैंने कन्हैया को नहीं देखा।
श्री कृष्ण ये सब बातें बडे़े से घड़े के नीचे छुप कर सुन रहे थे । मैया तो वहाँ से चली गई।
अब प्रभु श्री कृष्ण कुम्हार से कहते हैं - 'कुम्हार जी, यदि मैया चली गयी हो तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो ।
कुम्हार बोला - 'ऐसे नहीं, प्रभु जी ! पहले मुझे चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो ।
भगवान मुस्कुराये और कहा - ठीक है, मैं तुम्हें चौरासी लाख योनियों से मुक्त करने का वचन देता हूँ । अब तो मुझे बाहर निकाल दो ।' कुम्हार कहने लगा - 'मुझे अकेले नहीं, प्रभु जी ! मेरे परिवार के सभी लोगों को भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करने का वचन दोगे तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकालूँगा ।
प्रभु जी कहते हैं - 'चलो ठीक है, उनको भी चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त होने का मैं वचन देता हूँ । अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।
अब कुम्हार कहता है - 'बस, प्रभु जी ! एक विनती और है उसे भी पूरा करने का वचन दे दो तो मैं आपको घड़े से बाहर निकाल दूँगा ।
भगवान बोले -वो भी बता दे, क्या कहना चाहते हो ?
कुम्हार कहने लगा - 'प्रभु जी ! जिस घड़े के नीचे आप छुपे हो, उसकी मिट्टी मेरे बैलों के ऊपर लाद के लायी गयी है।
मेरे इन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त करने का वचन दो।
भगवान ने कुम्हार के प्रेम पर प्रसन्न होकर उन बैलों को भी चौरासी के बन्धन से मुक्त होने का वचन दिया ।
प्रभु बोले -अब तो तुम्हारी सब इच्छाएं पूरी हो गयी, अब तो मुझे घड़े से बाहर निकाल दो ।
तब कुम्हार कहता है - 'अभी नहीं, भगवन !
बस, एक अन्तिम इच्छा और है। उसे भी पूरा कर दीजिये और वो ये है - जो भी प्राणी हम दोनों के बीच के इस संवाद को सुनेगा, उसे भी आप चौरासी लाख योनियों के बन्धन से मुक्त करोगे।
बस, यह वचन दे दो तो मैं आपको इस घड़े से बाहर निकाल दूँगा।
कुम्हार की प्रेम भरी बातों को सुन कर प्रभु श्री कृष्ण बहुत खुश हुए और कुम्हार की इस इच्छा को भी पूरा करने का वचन दिया ।
फिर कुम्हार ने बालक श्री कृष्ण को घड़े से बाहर निकाल दिया । उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम किया। प्रभु जी के चरण धोये और चरणामृत पीया। अपनी पूरी झोंपड़ी में चरणामृत का छिड़काव किया और प्रभु जी के गले लगकर इतना रोये क़ि प्रभु में ही विलीन हो गये।
मित्रों..जरा सोच करके देखिये, जो बालक श्री कृष्ण सात कोस लम्बे-चौड़े गोवर्धन पर्वत को अपनी इक्क्नी अंगुली पर उठा सकते हैं,
क्या वो एक घड़ा नहीं उठा सकते थे।
लेकिन बिना प्रेम रीझे नहीं नटवर नन्द किशोर !
🙏🙏🙏🙏🙏श्री राधे🙏🙏🙏🙏🙏
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